आरएसएस क्या है ? | RSS Ka Full Form In Hindi 2023 ?

आरएसएस क्या है | RSS Ka Full Form In Hindi ?

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RSS Ka Full Form – राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ या आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली संगठन माना जाता है। संघ का प्रमुख उद्देश्य भारत को विश्व शक्ति और परम वैभव में स्थापित करना है। इस संगठन का ध्येय खोए हुए संस्कृति को पुनः प्रकाशित करना है और अपने बच्चों को हिन्दू संस्कृति और मूलभूत मूल्यों के साथ परिपोषित करना है।

यह संघ परिवार में बजरंग दल, भारतीय जनता पार्टी, विश्व हिन्दू परिषद, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्, और मजदूर संघ जैसे संगठन शामिल हैं। इन सभी संगठनों के साथ-साथ, संघ द्वारा कॉलेज और हजारों स्कूल का संचालन भी किया जाता है।

RSS Ka Full Form – Official Website : https://www.rss.org

उस समय जब आरएसएस की नींव रखी गई थी, तब इसमें केवल 17 लोगों की थी संख्या। आजकल के समय में इस संघ से जुड़े हुए लोगों की संख्या करोड़ों में है, और यह अब विश्व के 50 से अधिक देशों में सक्रियता दिखा रहा है।

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वर्तमान में संघ के दैनिक शाखाओं की संख्या लगभग 55,568 है, और 13,847 साप्ताहिक मंडलियों के साथ, 9,000 मासिक शाखाएं भी हैं। संघ की शाखाओं में नियमित रूप से प्रतिदिन आने वाले स्वयंसेवकों की संख्या 50 लाख से अधिक है। यह संघ अपदाओं के समय में सभी धर्मों के लोगों की मदद करने में भी विशेष ध्यान देता है।

आरएसएस (RSS) में कैसे शामिल हों | How To Join RSS ?

How To Join RSS – आरएसएस को ‘राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh)’ के नाम से भी जाना जाता है। यह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से भी अधिक प्रसिद्ध है उपमें, जिसे ‘संघ’ या ‘आरएसएस’ कहा जाता है। इस संगठन का उद्देश्य हिन्दू समाज के लोगों के हित और हिंदुत्व की रक्षा करना है।

आरएसएस का मुख्य उद्देश्य लोगों को सनातन धर्म के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने के साथ ही उन्हें जागरूक कर धर्म से जोड़ना है। ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ यानी आरएसएस, भारत में एक हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्ध-सैन्य, दक्षिण-पंथी, स्वयंसेवक संगठन के रूप में माना जाता है, जो भारतीय जनता पार्टी के पैतृक संगठन के रूप में भी जाना जाता है।

संघ परिवार में कई हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन शामिल हैं। यह संघ देश में किसी भी प्रकार की संकटकालीन स्थिति में दूसरों की सहायता करने का प्रमुख उद्देश्य रखता है। यदि आप भी आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य बनना चाहते हैं, तो आपको जानने में मदद मिलेगी कि आरएसएस (RSS) में कैसे शामिल हो सकते हैं, आरएसएस प्रचारक लिस्ट के बारे में पूरी जानकारी कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

आरएसएस का इतिहास (History Of RSS)

आरएसएस की स्थापना का श्रेय विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जिसे आरएसएस के नाम से भी जाना जाता है, के संस्थापक केशवराम बलिराम हेडगेवार को जाता है। हेडगेवार का जन्म वर्ष 1889 में हुआ था। हेडगेवार पेशेवर डॉक्टर थे और उन्हें अपने देश के प्रति आक्रोश और अंग्रेज़ों द्वारा किए गए अत्याचार के प्रति जज्बा था, जो उनके बचपन से ही मौजूद था। केशवजी दामोदर सावरकर के हिंदूत्व से भी उन्हें अधिक प्रभावित हुआ था और उन्होंने महसूस किया कि समाज के सभी वर्गों को जोड़कर एक सशक्त समाज बनाने की आवश्यकता है।”

इसी आधार पर, हेडगेवार जी ने नागपुर में 27 सितंबर 1925 को विजयादशमी के शुभ दिन पर कुछ युवाओं को एकत्रित किया और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना की। इसके बाद, वह दिन-प्रतिदिन नियमित रूप से शाखाएं लगाने लगे, जिनमें प्रार्थना, खेल जैसी गतिविधियां शामिल होने लगी। इसी प्रकार, धीरे-धीरे यह शाखाएं पूरे शहर और फिर पूरे देश में फैल गई है और वर्तमान समय में देश के प्रत्येक राज्य और शहर में संघ का प्रभाव देखा जा सकता है।

Rashtriya स्वयं सेवक संघ का उद्देश्य (Objective of राष्ट्रीय Swayamsevak Sangh)

आरएसएस को आज भारत का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन माना जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य सनातन संस्कृति के मूल्यों को सजीव रखना, भारत को समृद्ध और विकसित बनाने के साथ ही राष्ट्रवादी व्यक्तित्व का निर्माण करना है। आरएसएस का प्रमुख उद्देश्य समाज में ऊंच-नीच और जाति-वर्ग भेद को समाप्त करना है।

यह संगठन देश में आने वाली सभी परिस्थितियों का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहता है। आरएसएस का लक्ष्य समाज को संगठित करके देश को प्रगतिशील दिशा में अग्रसर करना है और देश को प्रगति के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के काम में लगना है। देश में किसी भी प्रकार की आपदा या विपत्ति आने पर, संघ, लोगों को आर्थिक और शारीरिक रूप से मदद करने के लिए तत्पर रहता है।

आरएसएस प्रचारक लिस्ट (RSS Promotional List)

क्रम स०  नाम  वर्ष
1. डॉक्टर केशवराव बलिराम हेडगेवार 1925 से 1940
2. माधव सदाशिवराव गोलवलकर 1940 से 1973
3. मधुकर दत्तात्रय देवरस 1973 से 1993
4. प्रोफ़ेसर राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया 1993 से 2000
5. कृपाहल्ली सीतारमैया सुदर्शन 2000 से 2009
6. Dr. मोहनराव मधुकरराव भागवत 2009 से अभी तक

 

आरएसएस ज्वाइन कैसे करें (How To Join RSS)?

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) में शामिल होने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. सबसे पहले, आपको RSS की आधिकारिक वेबसाइट, https://www.rss.org पर जाना होगा।
  2. वेबसाइट पर, ‘Join RSS’ बटन पर क्लिक करें, जिससे आरएसएस में शामिल होने का आवेदन प्रक्रिया शुरू होगी।
  3. उसके बाद, आपके सामने एक आवेदन फॉर्म खुलेगा। इस फॉर्म में आपको अपनी जानकारी भरनी होगी।

RSS Ka Full Form : Rashtriya Swayamsevak Sangh

R – Rashtriya

S – Swayamsevak

S – Sangh

आरएसएस क्या करता है?

आरएसएस भारत के मातृभूमि के लिए निःस्वार्थ सेवा भाव से विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए प्रसिद्ध है।

यह संगठन भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए और सभी हिंदू समुदायों को एकजुट करने के लिए कई प्रकार के कार्य करता है।

इसके अतिरिक्त, संगठन भारतीय संस्कृति और विचारधारा के मूल्यों की संरक्षणा के लिए भी कार्य करता है।

बहुसंख्यक हिंदू समुदायों को मजबूत करने के लिए और हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए भी इस संगठन का महत्वपूर्ण योगदान है।

आरएसएस का इतिहास और इसके संस्थापक

RSS Ka Full Form – दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक संगठन में शामिल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना केशव बलराम हेडगेवार जी द्वारा की गई थी। इस संगठन की शुरुआत 27 सितंबर 1925 को नागपुर में विजयदशमी के दिन हुई थी, जब केशव बलराम हेडगेवार जी ने अपने घर पर 17 अन्य लोगों के साथ इसे आरंभ किया।

इस RSS के प्रारंभिक 17 सदस्यों में हेडगेवार के अलावा विश्वनाथ केलकर, भाऊजी कावरे, अण्णा साहने, बालाजी हुद्दार, बापूराव भेदी, और अन्य थे, और इन्हीं लोगों ने मिलकर पहली बार आरएसएस की नींव रखी थी।

आरएसएस का नाम कैसे पड़ा:

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआती दिनों में, इस संगठन को नाम देने से पहले, उसके सदस्यों ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’, ‘जरीपटका मंडल’ और ‘भारतोद्वारक मंडल’ इन तीनों नामों पर विचार किया था। इसके बाद, इसके लिए वोटिंग की गई, जिसमें ज्यादातर लोगों ने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ का समर्थन दिया। इसके परिणामस्वरूप, RSS Ka Full Form संगठन का नाम ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh)’ रखा गया।

आरएसएस से जुड़े मुख्य बातें:

  • ‘नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे’ प्रार्थना के साथ, पिछले कई वर्षों और दशकों से देश के हर कोने में संघ की शाखाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं।
  • वर्तमान समय में, आरएसएस दुनिया की सबसे बड़ी स्वयंसेवी संगठन है, जिसमें एक करोड़ से भी ज्यादा कार्यकर्ता संगठन की सेवा कर रहे हैं।
  • आरएसएस की स्थापना पहली बार 1925 में विजयदशमी के दिन, 17 सदस्यों के साथ की गई थी।
  • इस संगठन में शामिल कई प्रधानमंत्री थे, जो पहले आरएसएस के सदस्य थे, और बाद में प्रधानमंत्री बने।
  • आरएसएस के सभी सदस्य बिना किसी दबाव या पैसों के लालच के समाज सेवा के कार्य करते हैं, और इस संगठन के किसी भी सदस्य को किसी भी प्रकार की सैलरी नहीं मिलती।

आरएसएस का विस्तार:

संघ में लगभग एक करोड़ से भी ज्यादा प्रशिक्षित सदस्य हैं। संघ परिवार में 80 से अधिक छोटे-बड़े संगठन शामिल हैं। इसके अलावा, दुनिया के 40 से अधिक देशों में संघ की 57 हजार दैनिक शाखाएं सक्रिय हैं।

50 लाख से अधिक सदस्य रोज़ शाखा में आते हैं। देश की प्रत्येक तहसील और 60 हजार गांवों में संघ की नित्य शाखाएं स्थापित की जाती हैं।

आरएसएस की बुनियाद शाखा मानी जाती है, जिस पर यह विशालकाय संगठन खड़ा है।

यहाँ नित्य स्वयंसेवकों का समूहिक संबंधन होता है। सुबह और शाम में, इस शाखा में आयोजित एक घंटे की सभी सदस्यों की मिलनसर गतिविधियाँ शामिल हैं, जिसमें खेल, योग, प्रार्थना और सांस्कृतिक पहलुओं की चर्चा होती है।

संघ के प्रमुख, सरसंघचालक का मार्गदर्शन होता है, और प्रत्येक सरसंघचालक अपने उत्तराधिकारी की घोषणा करते हैं। वर्तमान में, आर एस एस के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी हैं, जो संघ की शाखा में स्वेच्छा से सामिल होते हैं और उन्हें स्वयंसेवक कहा जाता है।

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